भूमि पूजन के लिए जन्मभूमि तक जिन्हें जाने का सौभाग्य मिलेगा, उन चुनिंदा मेहमानों की लिस्ट में 135 संत और 40 प्रमुख लोग शामिल हैं। कुल 175 ऐसे नाम हैं, जिन्हें देश के उन लोगों में शामिल होने का मौका मिला है, जो राम मंदिर भूमि पूजन के गवाह बनेंगे। 135 जो संत बुलाए गए हैं, वो भारत और नेपाल से हैं और 36 संप्रदायों को मानने वाले हैं। नेपाल के जनकपुर के संतों को भी बुलावा भेजा गया है।
भाजपा के पितृपुरुष लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी कोरोना और उम्र से जुड़े खतरों के मद्देनजर जन्मभूमि नहीं जा पाएंगे। हालांकि श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सचिव चंपत राय की मानें तो आमंत्रण और निमंत्रण की पूरी फेहरिस्त आडवाणी, जोशी और वकील के पाराशरण से मशविरा कर तैयार की गई है।
जो मंच पर होंगे उन पांच लोगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संघ प्रमुख मोहन भागवत, उत्तरप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, महंत नृत्य गोपालदास और राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल हैं। राज्यपाल और मुख्यमंत्री को बतौर प्रोटोकॉल ये जगह दी गई है। इनमें से योगी आदित्यनाथ को छोड़ दें तो सभी की उम्र 60+ है। विहिप के अहम नेता अशोक सिंघल के परिवार से उनके भतीजे पवन सिंघल और महेश भागचंदका इस भूमिपूजन के यजमान होंगे यानी पूजा उन्हीं के हाथों होगी।
आमंत्रित अहम लोगों में सबसे पहले बात उमा भारती की जो आडवाणी जी के सबसे करीब हैं और राममंदिर आंदोलन का प्रमुख चेहरा रही हैं। उमा भारती अयोध्या पहुंच गई हैं, लेकिन जन्मभूमि नहीं जाएंगी। वो इसके लिए कोरोना का हवाला दे रही हैं। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी जब लौट जाएंगे तभी वो रामलला के दर्शन करेंगी।
भाजपा से जन्मभूमि जाने वाले नेता
उमा भारती के अलावा जो भाजपा नेता जन्मभूमि जाएंगे उनमें भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, सांसद लल्लू सिंह, भाजपा नेता और जन्मभूमि आंदोलन के अहम किरदार विनय कटियार, उप्र के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद और दिनेश शर्मा, यूपी के कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना और लक्ष्मी नारायण सिंह शामिल हैं। पूर्व राज्यपाल और सीएम कल्याण सिंह और जयभान सिंह पवैया भी इस लिस्ट का हिस्सा हैं।
विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस से
विहिप के कार्यकारी प्रमुख आलोक कुमार, सदाशिव कोकजे, प्रकाश शर्मा, मिलिंद परांदे, रामविलास वेदांती और जितेंद्र नंद सरस्वती के अलावा विश्व हिंदू परिषद की हाईपावर कमेटी के 40 से 50 लोग इसका हिस्सा हो सकते हैं। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के अलावा सुरेश भैयाजी जोशी, विहिप के दिनेश चंद, कृष्ण गोपाल, इंद्रेश कुमार वहां आएंगे।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के 15 लोग
महंत नृत्य गोपाल दास, स्वामी गोविंद देव गिरी, चंपत राय, नृपेंद्र मिश्र, स्वामी वासुदेव सरस्वती, विमलेंद्र प्रताप मिश्र जो अयोध्या राजपरिवार के प्रमुख हैं, अनिल मिश्र, कमलेश्वर चौपाल, महंत दिनेंद्र दास, वकील के पारासरण, ज्ञानेश कुमार गृहमंत्रालय से, अवनीश अवस्थी उप्र सरकार से और अनुज झा अयोध्या के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट।
कार्यक्रम में शामिल होने वाले संतों में अखाडा परिषद के नरेंद्र गिरी, साध्वी ऋतंभरा, योग गुरु रामदेव, श्री श्री रविशंकर, युगपुरुष परमानंद शामिल हैं।
पहला न्यौता हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल को
पहला न्यौता अयोध्या विवाद में मुस्लिम पक्ष के मुद्दई हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी को भेजा गया था। उनके अलावा एक और मुसलमान जिन्हें कार्यक्रम में बुलाया है उनमें पद्मश्री मोहम्मद शरीफ भी शामिल हैं, जिन्होंने 10 हजार से ज्यादा लावारिस लाशों को दफनाया है।
आडवाणी और जोशी के अलावा जिन्हें बुलाया गया और जो आने में असमर्थ हैं उनमें शंकराचार्य और कुछ संत हैं जो चातुर्मास के चलते नहीं आ पा रहे हैं। किसी भी राज्य के मुख्यमंत्रियों को नहीं बुलाया गया है, कारण कोरोना है।
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