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अयोध्या में सजने लगे आश्रम और अखाड़े, चौक-चौराहों के मंदिरों में संकीर्तन की गूंज

(त्रिभुवन) पांच अगस्त को राममंदिर के भूमि पूजन के लिए अयोध्या पूरी तरह से सजकर तैयार है। रामनगरी का रूप-रंग बदल चुका है। अखाड़े-आश्रम सजने लगे हैं। नंदीग्राम स्थित रामजानकी मंदिर सहित हर चौक-चौराहों पर स्थित मंदिरों में संकीर्तन के सुर गूंज रहे हैं। मणिदासजी की छावनी में देशभर से आई भेंट स्वीकार की जा रही है। शनिवार को विधायक अजय सिंह ने 300 ग्राम चांदी की 50 ईंटें यहां दान कीं। सुरक्षा चाक चौबंद है। भूमिपूजन के बाद प्रसाद वितरण के लिए रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास के आश्रम में थोक के भाव में लड्डू भी तैयार किए जा रहे हैं। हनुमानगढ़ी चौराहे से रामजन्मभूमि की ओर जाने वाले मार्ग और उसके किनारे को चित्रों और प्रवेश द्वार से सजाया गया है। राम की पौड़ी भी रंग-बिरंगी रोशनी से दमक रही है।
अयोध्या में धार्मिकता के साथ पहले स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे और अशफाक उल्ला खान के बलिदान का एक रंग भी घुला है। मंगल पांडे और अशफाक उल्ला यहीं के थे और पहले दोनों को फांसी हुई तो बाद में अंग्रेजों को इनका जो भी परिजन मिला, उसे तोप के आगे बांधकर उड़ा दिया गया। बकौल शहरनामा के लेखक यतीन्द्र मिश्र बलिदान का यह रंग शहर के वर्तमान को संवारता और वैभवशाली बनाता है। अयोध्या-फैजाबाद का नया भविष्य चाय के कुल्हड़ सुटकते आरिफ, परवेज़ और धीरज यादव इस रूप में देखते हैं कि हालात अब पहले जैसे नहीं रहेंगे और एक आधुनिक शहर कुछ समय में उनके सामने होगा।
राम मंदिर के निकट अशरफी भवन के पीछे रहने वाले समाजसेवी आजम भाई कहते हैं, जो हो रहा है, ठीक हो रहा है, लेकिन अब छोटा भाई बड़े भाई की तरफ उम्मीदों से देख रहा है। उन्हें लगता है कि प्रधानमंत्री आएंगे तो निराश नहीं करेंगे। अयोध्या हिंदुओं की धार्मिक नगरी तो है ही, ये शहरे औलिया और खुर्द मक्का भी है। यहां वलियों की दरगाहें हैं। बाबरी विवाद में सुप्रीम कोर्ट तक में एक प्रमुख पक्ष रहे इकबाल अंसारी (हाजी हाशिम अंसारी के बेटे) भी राम मंदिर आधारशिला के पूजन समारोह में शामिल होना चाहेंगे। इस्लाम में फकीरी लाइन के लोग भी हिन्दू साधु संतों फकीरों से संवाद करते और 40 दिन अयोध्या वास करते थे। यहां गुरुद्वारे हैं तो गिरजाघर भी हैं। इतिहासकार बताते हैं कि अयोध्या एक समय बौद्ध धर्म का भी प्रमुख केंद्र रहा है।

जर्मन पंडाल पर आंधी व बारिश बेअसर, यहीं से पीएम का संबोधन

5 अगस्त को भूमि पूजन समारोह के लिए विशाल जर्मन हैंगर पंडाल तैयार हो चुका है। यह अतिथियों को आंधी-पानी से बचाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आमंत्रित अतिथियों के साथ इसी पंडाल में बैठेंगे। यहां उनके लिए अलग से आसन लगेगा। यह आसन जन्मभूमि स्थल के उस स्थान पर होगा, जहां मंदिर का गर्भगृह होगा। यहां 11 पुजारियों के साथ आचार्यो की मंडली मौजूद होगी। पीएम का आसन इस तरह लगेगा कि उनका चेहरा पूर्व दिशा की ओर रहे। यहीं से वे अतिथियों व धर्माचार्यो को संबोधित करेगें। उसे खूबसूरती से सजाने के साथ लाइट, कैमरा और सुरक्षा मानकों की कसौटी पर खरा उतारने के लिए पूरी टीम रात दिन जुटी हुई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तैयारियों का जायजा लेने के लिए रविवार को अयोध्या का दौरा करेंगे।

जात न पूछो साधु की...
यह खुशी की बात है कि भगवान राम ने हमारी पीढ़ी को अपने जीवनकाल में इस ऐतिहासिक घटना को संजोने का अवसर दिया है। यह उन हजारों भक्तों के बलिदान को याद करने की भी घटना होगी, जो इसके गवाह बनने के लिए हमारे साथ नहीं हैं।’ - योगी आदित्यनाथ, सीएम, उप्र

श्रीराम जन्मभूमि में 5 अगस्त को होने वाले भूमि पूजन में मुझे नहीं बुलाना अनुसूचित जाति के लोगों का अपमान होगा। यह एक सोची-समझी साजिश के तहत हो रहा है। सरकार अपनी कथनी और करनी से मुकर रही है।’ - कन्हैया प्रभुनंद, महामंडलेश्वर, जूना अखाड़ा

6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा चला गया, सरकार भी गई थी। लेकिन सरकार जाने का कोई अफसोस नहीं है। सरकार का गिरना तो बहुत छोटी सी बात है। मुझे गर्व है कि मेरे माथे पर किसी भी कारसेवक की जान लेने का आरोप नहीं लगा है।’ - कल्याण सिंह, पूर्व सीएम, उप्र

साधु की कोई जाति नहीं होती। संन्यास लेने के बाद सभी बराबर हो जाते हैं। कन्हैया प्रभुनंद का बयान संत परंपरा के खिलाफ है। बयान वापस नहीं लिया तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’
-महंत नरेंद्र गिरि, अध्यक्ष, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद



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Ashrams and akhadas are decorated in Ayodhya, echo of the concourse in the temples of the square and squares


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