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राजपक्षे भाइयों का गठबंधन दो तिहाई सीटें जीतना चाहता है; भारत और चीन की इस चुनाव पर पैनी नजर

श्रीलंका में आज संसदीय चुनाव के लिए वोटिंग होगी। महामारी की वजह से प्रचार सोशल मीडिया या डोर टू डोर कैम्पेन तक ही सीमित रहा। फिलहाल, सत्ता पर दो भाईयों का कब्जा है। राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे। गोतबाया ने दो मार्च को संसद भंग करके नए आम चुनाव का ऐलान किया था। महामारी की वजह से दो बार चुनाव टले। मतदान सुबह सात से शाम पांच बजे तक होगा। यहां इस चुनाव से जुड़ी कुछ अहम बातों को सवाल-जवाब के जरिए जानने की कोशिश करते हैं।

Q. कितने सांसद चुने जाएंगे, कार्यकाल कब तक था?
A. कुल 225 सांसद चुने जाते हैं। पिछली संसद का गठन अगस्त 2015 में हुआ था। इसका कार्यकाल अगस्त 2020 तक था। अपनी लोकप्रियता को देखते हुए राष्ट्रपति गोटबाया ने मार्च में ही संसद भंग कर दी। नए चुनाव का ऐलान किया। महामारी की वजह से चुनाव दो बार टला। राष्ट्रपति साढ़े चार साल बाद संसद भंग कर सकता है।

Q. चुनावी गणित क्या है? कितनी मुख्य पार्टियां हैं?
A. राजपक्षे ब्रदर्स की एसएलपीपी और पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की एसएलएफपी दो मुख्य पार्टियां हैं। इनके अलावा एसजेबी, यूएनपी भी बड़ी पार्टियां हैं। एसएलपीपी और यूएनपी गठनबंधन में हैं। इसलिए इनका पलड़ा भारी है। सजित प्रेमदासा की एसजेबी वास्तव में यूएनपी से अलग होकर ही बनी। गांवों में इसकी अच्छी पकड़ है। इसके अलावा कुछ छोटे दल हैं, लेकिन ये कुछ खास क्षेत्रों तक सीमित हैं।

Q. कुल कितने उम्मीदवार मैदान में हैं?
A. 225 सीटों के लिए कुल 7452 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें से 3652 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से हैं। जबकि 3800 निर्दलीय हैं।

Q. श्रीलंका में जातीय समीकरण क्या है?
A. 70 फीसदी सिंहली समुदाय के लोग हैं। ये बौद्ध धर्म मानते हैं। 12 फीसदी हिंदू, 10 फीसदी मुस्लिम और करीब 7 फीसदी ईसाई हैं। कुल आबादी करीब 2.2 करोड़ है।

Q. महामारी के दौर में चुनाव जरूरी क्यों?
A. संसद का कार्यकाल इस महीने अगस्त तक था। लेकिन, राष्ट्रपति गोटबाया ने इस मार्च में ही भंग कर दिया। उस वक्त उन्हें लगता था कि सियासी हवा उनके पक्ष में है। लिहाजा, उनका गठबंधन आसानी से दो तिहाई बहुमत हासिल कर लेगा। लेकिन, महामारी की वजह से चुनाव नहीं हो सके।

Q. मुख्य मुद्दे क्या हैं?
A. तीन-चार बुनियादी मुद्दे हैं। पहला- बेहद खस्ता हाल अर्थव्यवस्था। दूसरा- टूरिज्म सेक्टर का लगभग ठप हो जाना। तीसरा- बेरोजगारी और शिक्षा। चौथा- राष्ट्रीय सुरक्षा।

Q. सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
A. एक लाइन में कहें तो- विदेशी कर्ज। इस छोटे से देश पर करीब 56 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है। यह देश की जीडीपी का 80% है। श्रीलंका पर चीन और एडीबी (एशियन डेवलपमेंट बैंक) का 14%, जापान का 12%, वर्ल्ड बैंक का 11% और भारत का 2% कर्ज है। श्रीलंका साफ कर चुका है कि फिलहाल, वो यह कर्ज चुकाने की हालत में नहीं है।

Q. अर्थ व्यवस्था इतनी क्यों बिगड़ी?
A. 1980 के दशक में सिविल वॉर से श्रीलंका वास्तव में कभी उबर नहीं पाया। बाकी कसर भ्रष्टाचार ने पूरी कर दी। पिछले साल ईस्टर पर बम धमाकों में 250 लोगों की मौत हुई। कमाई का मुख्य जरिया पर्यटन था। यह करीब-करीब ठप हो गया। इसके बाद कोरोनावायरस से हालात बदतर होते गए।

Q. भारत और चीन की इस चुनाव पर नजर क्यों?
A. गोटबाया भाईयों को चीन के करीब माना जाता है। हालांकि, प्रधानमंत्री महिंदा के भारत से संबंध बहुत अच्छे हैं। चीन कर्ज बांटो और कब्जा करो, की नीति के जरिए श्रीलंका में काफी पैर पसार चुका है। हम्बनटोटा पोर्ट को लीज पर लेकर वो भारत के करीब पहुंच रहा है। यह भारत की सुरक्षा के लिए खतरा है। यह चुनाव भारत को अपनी श्रीलंका पर नई रणनीति बनाने का मौका साबित हो सकता है। श्रीलंका ने भारत से 96 करोड़ डॉलर का कर्ज चुकाने के लिए रियायत और मोहलत दोनों मांगी हैं। माना जा रहा है कि इस चुनाव के बाद भारत इस पर फैसला करेगा।

Q. क्या चीन की तरफ झुक रहा है श्रीलंका?
A. पिछले साल भारत, जापान और श्रीलंका ईस्ट कन्टेनर टर्मिनल (ईसीटी) पर समझौता करने वाले थे। लेकिन, बाद में गोटबाया राजपक्षे बने और उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट पर फिर विचार किया जाएगा। भारत और जापान इससे नाराज हैं। माना जाता है कि चीन के दबाव में राजपक्षे ने इस प्रोजेक्ट को रोक दिया। 70 करोड़ डॉलर के ईसीटी का मालिकाना हक श्रीलंका के पास ही रहता। लेकिन, इसमें जापान की हिस्सेदारी 51 जबकि भारत की 49 फीसदी थी।



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Sri Lanka Election Polls 2020 | Sri Lanka General Election Polls 2020 Today News and Updates in Hindi.


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