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इमरजेंसी फंड बनाना, सेविंग करना और खर्चों को मॉनिटर करना हुआ मुश्किल; महामारी के दौर में बजट प्लानिंग के 4 तरीके

टेलर टेपर. कोरोनावायरस महामारी से पहले बजट बनाना या संभालना कभी भी इतना मुश्किल नहीं रहा। संक्रमण के मामलों की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण लाखों भारतीयों ने अपनी नौकरी गंवा दी। अब ऐसे में बजट प्लानिंग बेहद जरूरी हो गई है। हम अक्सर बजट प्लानिंग को छोड़ देते हैं या इससे बचना चाहते हैं, क्योंकि बजट जटिल होते हैं। तमाम परेशानियों के बावजूद कुछ उपाय हैं, जो आप बजट संभालने के लिए कर सकते हैं।

#1तरीका: जरूरत नहीं तो साथ नहीं

  • कभी-कभी सेविंग और खर्चों को मॉनिटर करना बहुत ही बड़ा काम लगता है। इसका सबसे अच्छा तरीका है कि आसान चीज से शुरुआत करने के बजाए काम को छोटे-छोटे हिस्सों में तोड़ लें। इसे "छोटी जीत" कहा जाता है और यह सबसे ज्यादा कारगर क्रेडिट कार्ड के खर्चों को संभालने में है।
  • यही बात आपके बजट पर भी लागू हो सकती है। एक छोटी जीत के लिए अपने क्रेडिट कार्ड और बैंक स्टेटमेंट्स की जांच करें। जांच के दौरान तलाशें कि कौन-सा ऐसा चार्ज है जो आप बिना जरूरत के चुका रहे हैं। ऐसी टीवी स्ट्रीमिंग सर्विस जिसकी आपको अभी जरूरत नहीं है, उसे हटा दें। आप अपने बैंक में कॉल कर कार्ड को लो ग्रेड या नो फीस वर्जन में बदलने के लिए भी कह सकते हैं।

#2 तरीका: अपने खर्चों का पता लगाएं

  • इससे फर्क नहीं पड़ता कि आपकी कमाई कितनी है, हो सकता है कि आपको बजट बनाना पसंद न हो। यहां तक कि 2013 के गैलप सर्वे के अनुसार, तीन में से केवल एक घर में महीने की कमाई और खर्चों का हिसाब रखा जाता है।
  • बजट संभालने का एक तरीका यह भी हो सकता है कि बजट के प्रति सोच को बदल दिया जाए। एक-एक रुपए के खर्च को कैटेगरी के हिसाब से बांटने के बजाए एक आंकड़ा तय कर लें जो आप हर महीने खर्च कर सकते हैं। फिर भले ही उसे कहीं भी खर्च करें।

#3 तरीका: एक अच्छा इमरजेंसी फंड तैयार करें

  • एक तय संख्या तक ही खर्च करने का तरीका सभी के लिए काम नहीं करेगा। खासतौर से तब जब आपके पास निश्चित आय नहीं है। एक ऐसे कपल जेरेमी और बैकी मूर को लेते हैं, जिनका पीछा दो लेखक जोनाथन मोर्डच और रेचल श्नाइडर अपनी किताब "द फायनेंशियल डायरीज" के लिए हफ्तों से कर रहे हैं।
  • जेरेमी ट्रक मैकेनिक हैं और वे ज्यादातर कमाई गर्मियों और सर्दियों में करते हैं। इस दौरान ट्रक ज्यादा खराब होते हैं। सामान्य वक्त में भी वो अपने घर तीन सौ डॉलर ले जाते हैं। यह कपल अकेला नहीं है। 2015 पिउ चैरिटेबल ट्रस्ट स्टडी के मुताबिक, एक साल से लेकर अगले साल तक कमाई में कम से कम 25 प्रतिशत फायदे या नुकसान को देखा गया।
  • फायनेंशियल प्लानर्स कहेंगे कि मूर्स को बुरे वक्त में अपने इमरजेंसी फंड की तरफ जाना चाहिए। यह चीज अस्थिर कमाई वाले परिवारों के साथ-साथ ज्यादा कमाई वाले घरों के लिए भी मुश्किल है। अगर आप इमरजेंसी फंड के लिए बचत नहीं कर पा रहे हैं तो अपनी कमाई में से निश्चित रकम बचाने की कोशिश करें। इसके लिए सेविंग अकाउंट या चैकिंग का इस्तेमाल करें।
  • इस तरह के इमरजेंसी फंड को तैयार करना 6 महीनों के फंड की तुलना में आसान है। आपको ज्यादा पैसे बचाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि खर्चों को पूरा करने के बजाए हमारा मकसद अस्थाई कमाई को पूरा करना है।

#4 तरीका: वो पैसा बचाएं जो आप खर्च नहीं कर रहे हैं

  • वैकेशन, जिम जैसी तमाम चीजों के कैंसिल होने के कारण आप हो सकता है ज्यादा बचत कर रहे हों। कई लोगों ने क्रेडिट कार्ड स्वाइप करना भी कम कर दिया है। पैसे खर्च करने के कम तरीके भी एक अच्छी बात हो सकती है।
  • अगर आप सावधानी से खर्च कर रहे हैं तो बेशक आपके खर्च करने के रास्तों को रोकना आपकी बुरे वक्त में मदद कर सकता है। हो सकता है कि आप इस बार वैकेशन पर नहीं जा रहे हों, तो ऐसे में अपने बचे हुए पैसों को किसी महंगी चीज पर खर्च करने के बजाए संभालकर रखें। कहीं नहीं जाने की संभावना, कम खर्च करना इस दौरान काफी मुमकिन है।


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