कोरोनावायरस अब संक्रमण से बचाने वाले जींसको ब्लॉक कर रहा है। यह दावा न्यूयॉर्क के आइकान स्कूल ऑफ मेडिसिन के वायरस विशेषज्ञों ने रिसर्च में किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना उन जींसपर हावी हो रहा है जो वायरस को शरीर में संख्या बढ़ाने से रोकतेहैं और इम्यून सिस्टम को अलर्ट करतेहैं। ऐसा करके वायरस तेजी से इंसान के शरीर में अपनी संख्या बढ़ाता है और कईअंगों तक पहुंच जाता है।
दो जीन का समूह रोकता है संक्रमण
शोधकर्ताओं के मुताबिक, इंसान के शरीर में दो जीन का एक समूह होता है। एक जीन वायरस को संख्या बढ़ाने से रोकता है और दूसरा इम्यून सिस्टम को अलर्ट करके वायरस को मारने का संदेश देता है। कोरोना एक बार शरीर में घुसते ही इन्हीं को जकड़ लेता है।
शोधकर्ताओं ने जीन का नाम 'कॉल टू आर्म' बताया
शोधकर्ताओं ने जीन के उस सेट का नाम 'कॉल टू आर्म' बताया है। सेल जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, इसे समझने के लिए इंसानों के फेफड़ों की कोशिकाएं औरसंक्रमित जानवरों का अध्ययन किया गया। इनमें संक्रमण से बचाने वाले जीन का रेस्पॉन्स काफी धीमा था।
एक समय पर वायरस बेकाबू होने लगता है
शोधकर्ताओं का कहना है कि जो लोग संक्रमित होते हैं उनमें कोरोना फेफड़ों में पहुंचकर अपनी संख्या को बढ़ाना शुरू करता है। यहां से संक्रमण इतनी तेजी से बढ़ता है कि इम्यून सिस्टम की अलग-अलग तरह की कोशिकाएं (न्यूट्रोफिल्स, मैक्रोफेजेस, लिम्फोसाइट्स) जब अब अपना काम करें तब तक यह बेकाबू हो जाता है।
इम्यून सिस्टम शरीर के खिलाफ हो जाताहै
शोधकर्ता और वायरस विशेषज्ञ डॉ बेंजामिन टेनोवर कहते हैं, संक्रमण अधिक बढ़ने पर कई बार इम्यून सिस्टम शरीर के खिलाफ काम करने लगता है, इसे साइटोकाइनिन स्टॉर्म कहते हैं। कोरोनावायरस जिस तरह से अपना असर दिखा रहा है मैंने पिछले 20 सालमें ऐसा कुछ नहीं देखा।
दवा से सुधारा जा सकता है इम्यून सिस्टम
ऐसे मरीज जो वेंटिलेटर पर हैं वह तभी वहां पहुंचते हैं जब स्थिति बेहद नाजुक हो चुकी होती है। इस स्थिति में ऐसे इलाज की जरूरत है जो वायरस को कंट्रोल करे। इन्हें इंटरल्यूकिन-6 और इंटरल्यूकिन-1 इनहिबिटर जैसे ड्रग दिए जा सकते हैं। ये इम्यून सिस्टम को सुधारने का काम करेंगे ताकि सूजन और संक्रमण को रोका जा सके।
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