अमेरिका में लॉकडाउन में अगर दो हफ्ते की देरी न करते, तो वहां कोरोना से 83 फीसदी कम मौतें होतीं। कोलंबिया यूनिवर्सिटी की स्टडी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
शोधकर्ताओं ने 3 मई तक के कोरोना मरीजों के आंकड़ों का अध्ययन किया। इसके अनुसार अगर सरकार ने 1 मार्च के पहले लॉकडाउन लगाया होता तो 11 हजार 253 मौतें होतीं,जबकि 65 हजार 307 मौतें हुईं। इसका मतलब यह है कि अगर दो हफ्ते पहले लॉकडाउन लगाया गया होता तो 54 हजार 54 लोगों की जानें बच सकती थीं।
हफ्ते भर पहले लॉकडाउन लगने पर 36 हजार जानें बचतीं
शोधकर्ताओं ने कहा कि एक हफ्ते जल्द लॉकडाउन लगाने पर 36 हजार से ज्यादा लोग बच सकते थे। रिसर्च टीम के प्रमुख जेफरी शमन ने कहा कि यह मौतों के आंकड़ों का बड़ा अंतर है। हमें संक्रमण रोकने के लिए एक-एक दिन देरी का असर समझना होगा। अमेरिका में कोरोना के अब तक 15 लाख 93 हजार 297 मामले आए हैं, जबकि 94 हजार 948 मौतें हुई हैं।
व्हाइट हाउस के सामने बॉडी बैग रखकर ट्रम्प का विरोध
तस्वीर व्हाइट हाउस के सामने की है। यहां लोगों ने बॉडी बैग रखकर राष्ट्रपति ट्रम्प का विरोध किया। उन्होंने कहा कि ट्रम्प झूठ बोल रहे हैं और लोग मर रहे हैं। सरकार कोरोना संकट का मुकाबला करने में विफल रही है।
राज्यों का फैसला: ज्यादा संक्रमित न्यूयॉर्क ने लॉकडाउन में देरी की
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 16 मार्च को लॉकडाउन की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि यह राज्यों पर निर्भर है कि वे कितना लॉकडाउन रखना चाहते हैं। कोरोना के दौर में घर में रहें, सीमित यात्राएं करे।
न्यूयॉर्क में 22 मार्च को स्टे एट होम का आदेश जारी हुआ
इस अपील के बाद राज्यों ने अलग-अलग समय पर लॉकडाउन लगाया। जैसे- सबसे ज्यादा संक्रमित न्यूयॉर्क में 22 मार्च को स्टे एट होम का आदेश जारी किया गया था। इसी राज्य की न्यूयॉर्क सिटी के लिए स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर यहां एक हफ्ते जल्द लॉकडाउन लगाया जाता, तो 3 मई तक यहां 2838 मौतें होतीं, जबकि 17 हजार 581 हुईं। यहां 14 हजार 743 जानें बच सकती थीं।
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